खरमास के कारण 13 दिसंबर से एक महीने के लिए बंद हो जाएगा सभी मांगलिक कार्य
हिंदू समाज में मलमास को मलिन मास माना जाता है। इस महीने में हिंदू धर्म के विशिष्ट व्यक्तिगत संस्कार नामकरण, यज्ञोपवीत, विवाह सहित कोई भी धार्मिक संस्कार नहीं होते हैं। पंचांग के अनुसार, जब से सूर्य बृहस्पति राशि में प्रवेश करता है, तभी से खरमास या मलमास या अधिकमास प्रारंभ हो जाता है। हिंदू धर्म में इस महीने को शुभ नहीं माना जाता है। इसलिए इस महीने में किसी भी तरह के नए काम या शुभ काम नहीं किए जाते हैं। कोई भी धार्मिक संस्कार नहीं होता है। मलिन मास होने के कारण इस महीने को मलमास भी कहा जाता है। मलमास या खरमास में किसी भी तरह का कोई मांगलिक कार्य ना करें। मांगलिक कार्यों के सिद्ध होने के लिए गुरु का प्रबल होना बहुत जरूरी है। बृहस्पति जीवन के वैवाहिक सुख और संतान देने वाला होता है।
खरमास में नहीं होते हैं कोई मांगलिक कार्य
खरमास के दौरान सूर्य धनु राशि में रहता है। धनु और मीन राशि होने पर सूर्य कमजोर हो जाता है। विवाह के लिए सूर्य का मजबूत स्थिति में रहना जरूरी है। मकर संक्रांति के दिन तक सूर्य इसी राशि में रहेगा। ऐसा माना जाता है कि सूर्य के धनु राशि में होने पर जो भी मांगलिक कार्य किए जाते हैं उनका पूर्ण फल प्राप्त नहीं हो पाता है। मलमास या खरमास के खत्म हो जाने के बाद ही विवाह जैसे मांगलिक कार्य फिर से प्रारंभ हो जाएंगे।
दिसंबर से मार्च तक ये हैं विवाह के मुहूर्त :
दिसंबर : 7, 8, 11 जनवरी : 15, 16, 17,18, 20, 26,29, 30, 31 फरवरी : 4, 9, 10, 12, 16, 21, 25, 26, 27, 28 मार्च : 2,11
शुभ कार्य के लिए बचे हैं पांच दिन दिन :
पंडित महेश कुमार मधुकर ने कहा कि अधिक मास 13 दिसंबर से नहीं, बल्कि 16 दिसंबर से लग रहा है, जो मकर संक्रांति 2020 यानी 14 जनवरी 2020 तक चलेगा। उन्होंने बताया कि 12 दिसंबर तक ही शुभ मुहूर्त है।