जिले के विद्यालयों के खुलने के पहले संक्रमण से बचाव की तैयारियां पूरी करने के लिए जारी की गई गाइडलाइन
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से छोटे बच्चों का बचाव के साथ ही सुरक्षा की बढ़ी जरूरतों को देख कर बच्चों के हित में काम करने वाली संस्थाएं सक्रिय हो गई हैं। शिक्षा विभाग व बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने पहल की है। इसके तहत अब बच्चों को शिक्षा के अधिकार के साथ-साथ सुरक्षा का अधिकार भी दिया जाएगा। बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किया है। जिसे विद्यालयों में लागू किया जाएगा। बच्चों व अभिभावकों को भी इसका पालन करना होगा।
बिहार बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष प्रो प्रोमिला कुमारी ने कहा है कि आपदा के समय बच्चों को अधिक संरक्षण की आवश्यकता होती है। कोरोना संकट की वजह से 25 मार्च से ही स्कूल बंद हैं। ऑनलाइन कक्षाएं संचालित हो रही हैं। कई बोर्ड परीक्षाओं के एग्जाम भी स्थगित किए जा चुके हैं। लॉकडाउन की समाप्ति के बाद विद्यालयों को फिर से खोलने की तैयारी की जा रही है। भविष्य में स्कूलों के खुलने पर बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी स्कूल प्रशासन की है। ऐसे में डीपीओ समग्र शिक्षा अभियान ने बीईओ व विद्यालय प्रधानों को बाल संरक्षण आयोग के दिशा निर्देशों की जानकारी देते हुए उसके अनुपालन की तैयारी का निर्देश दिया है।
अभिभावकों को भी बरतनी होगी सतर्कता
बाल संरक्षण आयोग ने स्कूल प्रबंधन के साथ-साथ अभिभावकों के लिए भी दिशा निर्देश जारी किया है। जिसके तहत बच्चों के स्वस्थ होने पर ही उसे विद्यालय भेजने। ड्रेस,जूते,मोजे की सफाई पर विशेष ध्यान रखने।किताब कॉपी छुने के बाद हाथ को सेनेटाइज कराने तथा बच्चों को मास्क व ग्लब्स पहना कर स्कूल भेजने की जवाबदेही अभिभावकों को दी गई है। पूरी तैयारी स्कूलों के खुलने के पहले पूरी कर लेनी है। इस पर सभी संबंधित स्कूलों को अग्रिम तौर पर अपनी तैयारियों को पुख्ता करने के निर्देश दिए गए हैं।
स्कूल प्रबंधन को सबसे पहले स्कूल को सेनेटाइज करना जरूरी
बच्चों की सुरक्षा को लेकर बाल संरक्षण आयोग ने स्कूलों के लिए गाइडलाइन जारी की है। इसके तहत विद्यालय खुलने के बाद स्कूल प्रबंधन को सबसे पहले स्कूल को सेनेटाइज करना है। बच्चों के लिए हाथ धोने की व्यवस्था, छह फीट की दूरी की सुनिश्चिता, शौचालय की स्वच्छता व नियमित रूप से दो तीन बार सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित करने होंगे। कोरोना वायरस की पूर्ण समाप्ति तक स्कूल ड्रेस की अनिवार्यता समाप्त करनी होगी। जिससे कि छात्र स्कूल ड्रेस गंदा होने पर कोई दूसरा साफ सुथरा ड्रेस पहन कर विद्यालय आ सके। डेस्क-बेंच की दिन में दो बार डेटॉल से सफाई व हर घंटी के बाद हाथ धोने की व्यवस्था। को सुनिश्चित करने होंगे।