जहानाबाद : मकर सक्रांति के लिए हर दिन 15 क्विंटल बन रहा है तिलकुट
मकर सक्रांति व ठंड के मौसम में तिलकुट की सोंधी खुशबू व ग्राहकों की भीड़ से जिले की तिलकूट मंडियां गुलजार हो रहीं हैं। यह महक न केवल लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है बल्कि मकर संक्रांति के आगमन का खूबसूरत अहसास भी करा रही है। हालांकि अभी मकर सक्रांति में दो दिनो का वक्त बाकी है लेकिन शहर में जगह-जगह तिलकुट की दुकानें पूरी तरह से गुलजार हुई हैं। पिछले दस-पंद्रह दिनों से मकर संक्रांति को लेकर रात-दिन बड़े पैमाने पर तिलकुट कूटने का काम चल रहा है। कई वर्षों से इस व्यवसाय से जुड़े कारोबारियों का कहना है कि पहले तिलकुट गया आदि अन्य स्थानों से मंगाकर बेचा जाता था, जो महंगा पड़ता था। लेकिन अब उससे भी अच्छी क्वालिटी की तिलकुट स्थानीय स्तर पर कुशल कारीगरों से बनाने के कारण जहां इसे अपेक्षाकृत सस्ते दरों पर बेच पाना संभव हो पाता है वहीं इससे मुनाफा भी ठीकठाक हो जाता है।
नवंबर के मध्य से ही तिलकुट का बाजार हो जाता है गरम
कारोबारियों ने बताया कि तिलकुट बनाने का काम कायदे से मध्य नवम्बर से ही शुरू हो जाता है। शहर में तिलकूट के लगभग दो सौ छोटी-बड़ी दुकाने हैं। यहां कारीगरों और मजदूरों से विभिन्न प्रकार के तिलकुट का निर्माण कराया जा रहा है। पिछले एक सप्ताह से मकर सक्रांति को लेकर यहां औसतन हर दिन यहां दस से पंद्रह क्विंटल से अधिक तिलकुट का निर्माण हर दिन हो रहा है। पर आखिरकार डिमांड के अनुसार इसकी पूर्ति नहीं हो पाती है। हालांकि तिल, चीनी व गुड़ की कीमत में तेजी से इसका मुनाफा घटने लगा है। लेकिन बाजार के हिसाब से ढलना ही पड़ता है। अब साधारण तिलकुट के साथ ही खोवा भरे तिलकुट की भी बिक्री जमकर हो रही है। इसके अलावा तिलपापड़ी की भी खासी डिमांड रहती है। अलग-अलग आकार के तिलकुट लोग संदेश देने के लिए भी खूब खरीदते हैं।
अलग-अलग भाव पर उपलब्ध हैं उच्च कोटि के खास्ते तिलकुट
यहां के बाजार में हर किस्म के तिलकुट उपलब्ध हैं। इनकी किस्मों के हिसाब से इनके अलग-अलग दाम भी हैं। चालू तिलकुट 220 रुपये, स्पेशल तिलकुट 300 रुपये एवं खोवा का तिलकुट 400 रुपये प्रति किलो तक की दर पर मिल रहे हैं। चीनी और खोवा के तिलकुट के अलावा गुड़ से बनने वाले तिलकुट भी जिले के बाजारों में एक क्लास वाले ग्राहकों के लिए बनाए जाते हैं। तिलकुट की इस बढ़ती पूछ के कारण तिलकुट के व्यापार का क्षेत्र व्यापक होता जा रहा है। इस कारोबार से हजारों मजदूरों को रोजगार भी प्राप्त हो रहा है। इस कोरोना काल में एक बार फिर से रोजगार का साधन बन रहा तिलकुट कारोबार फिलहाल अपने चरम पर है।